अन्नदानं परं दानं विद्यादानमतः परम्।
अन्नेन क्षणिका तृप्तिः यावज्जीवं च विद्यया॥
भावार्थ – अन्न का दान परम् दान है और विद्या का दान भी परम् दान है, किन्तु दान में अन्न प्राप्त करने वाले को कुछ क्षणों के लिए ही तृप्ति प्राप्त होती है, जबकि दान में विद्या प्राप्त करने वाला (अपनी विद्या से आजीविका कमा कर) जीवनपर्यन्त तृप्ति प्राप्त करता है।
-जय श्रीहरि,
Add Comment