श्री हरि चालीसा व आरती श्री हरिबाबा की

" श्रीहरि "
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श्री हरि चालीसा

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सुमिरन कर गुरुदेव का धार शरद का ध्यान !
श्री हरि चालीसा रचु, कृपा करहुँ भगवान !!
संतमिलन श्री हरिकथा, गंगा का स्नान !
संकीर्तन नित श्रवण कर हरिबाबा के नाम !!
जय जय हरि बंधा बासी !
खादर बीच रचाई काशी !!
हरि हरि हरिबोल सुनायो !
सब मुक्तिन को द्वार बनाओ !!
गन्धोवाल पावन हरी कीन्हा !
दर्श दिखा पितु माँ सुख दीन्हा !!
. विध्या पड़ गुरु आश्रम आएं !
सेवा कर दीनन मन भये !!
स्वं संत बन प्रेम लुटाओ !
खादर आ हरिनाम सुनाओ !!
ग्रामीणन हरि खेल खिलाओ !
गावं वृन्दावन जहाँ बनाओ !!
कभी गौर कभी श्याम बन !
राम लखन हनु कभी सिया संग !!
गंगा बाढ़ बहे नर नारी !
बांध बना सब विपदा टारी !!
हरि बोल कहे घंटा बजावें !
बाल बृंद गृह तज चले आवें !!
श्रम सेवा कर फल दिखलाओ !
कलियुग हरि अबतार करायो !!
हरि बांध जो मिट्टी डाले !
जन्म कोटि के पाप कटावे !!
प्रेम सहिल हरि बोल सुनायो !
यम दूतो की त्रास मिटावे !!
चहुँ दिशि हरि घंटा धुनि बाजे !
दाल पात हरि बोल सुनावें !!
दीन ज्ञान हरि किये सनाथा !
अब छोड़त क्यों पकड़ो हाथा !!

त्रिबिध ताप हरि क्षण में हरो !
त्राहि त्राहि हरि चरनन परो !!
नहीं जानु जप तप व्रतपूजा !
आस तिहारी कोई न दूजा !!
कैसे मिटे मोर अज्ञाना !
नहीं जानत बालक नदाना !!
जब जब भरी भीड़ पड़ी है !
तब हरि लीला आन करी है !!
भक्तो को तो क्षण में तारो !
जाने हरि जब पतित उबारो !!
मोको पतित न दिखे स्वामी !
फासो रहो नित बिषयी कामी !!
नैया डगमग डोल रही है !
तेरे सहारे पर छोड़ रखी है !!
दीनन दीन बंधू कहलावो !
जन की बार बिलम्ब न लायो !!
आज हरि हर बंधा बारे !
घंटा धारी खादर बारे !!
एक बार फिर धूम मचा दे !
हरि बोल हरि नाम सुना दे !!
तेरे हांथो लाज हमारी !
बनी बात बिगड़ी है सारी !!
साधु संत टेरत हरि आजा !
दीन खड़े हरि दर्श दिखा जा !!
हरी हरी हरि बोल जो गावे !
हरि बाबा सों नेह बढ़ावे !!
मन चिंता पल में कट जावे !
प्रेम से जो हरि कीर्तन गावें !!
जीवन सफल बही कर माने !
जो हरिहर को अपना जाने !!
हरिद्वार से जो जल ले अावे !
बन्देश्वर पे आन चढ़ावे !!
मन कामना सिद्ध सब पावें !
जो यह चालीस नर गावें !!

सफल वासनाएं कट जाती !
धुप दीप कर जोरे बाती !!
निर्मल मन हो भेंट चढ़ावे !
फूल पत्र श्रद्धा से लावे !!
नेम प्रेम से पाठ केरे जो !
ध्यान रखे सब छोड़ हरी को !!
ताकि तन नहीं रहे कलेशा !
हरी हरी हरि जापे हमेशा !!
भूत प्रेत सम्मुख न आवे !
नाम लेत हरि को भाग जावे !!
गंगा नहाय कर बन्दा बासा !
संत दर्श कर पूरी आशा !!
नित्य बाँध के दर्शन पावे !
हरि सम्मुख जो पाठ सुनावे !!
साधन धाम मुक्ति का द्वारा !
पाठ करे जो ग्यारह बारा !!
साक्षात हरि गौर कहाये !
दीनन दुःख टारन हरी आये !!
निश्चय सत्य हृदय से पाठ करो चालीस !
“हम सबकी” कामना पूर्ण करे जगदीश !!

Lord-Chaitanya-Mahaprabhu
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आरती
श्री हरिबाबा की

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आरती श्री हरिबाबा की कीजे !
तन मन धन न्योछावर कीजे !!
कोटि छबि रवि की न्यारी !
मन मुस्कान मधुर अति प्यारी !!
अपना सर्वस्व इनको दीजे !
गले फूलो का हार बिराजे !!
कुमकुम चन्दन भाल बिराजे !
हरि बोल अमृत रस पीजे !!

तीरथ खादर बीच बनाया !
प्रेम सहित हरी बोल सुनाया !!
बाँध धाम हरि दर्शन कीजे !
प्रेम से मिली हरि कीर्तन गावो !!
कंचन थार कपूर सजायो !
फूल गुलाब जो हरि को चढ़ावे !!
“हम सबका” जन्म सफल कर लीजे !!

JAY_SHRI_HARI_