जै श्री हरि:-
जो भी हमने माँगा हरी ने दिया है
हम सब ग़रीबों पे करम ये किया है : जो भी हमने
तेरी हँसी पे बलिहारी जाऊँ
दिल में उतार कर नैनों मे बसाऊँ
फिर भी न जाने क्यों तरसे जिया है
न जाने कैसा जादू किया है ! हमने जो भी माँगा………
तसबबुर में कभी तो मुलाक़ात होगी
बेशक न बोलो दिल से बात होगी
बिछुड़ के हरी से कौन जिया है:- हमने जो भी
” न पंडित ” ही जाने दरमाए मुहब्बत
न क़ाज़ी न मुल्ला न वीरों की सोहबत
दर्दे-दिल वो जाने ये जिसने दिया है:-
जो भी हमने माँगा वो हरी ने दिया है
हम सब ग़रीबों पे करम ये किया है
:- 20-8-2017 8-54पर ….
By :-SITARAM
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