भक्त भाव पुष्प

कर्म करते रहो

" श्रीहरि "

नदी जब निकलती है,
कोई नक्‍शा पास नहीं होता कि “सागर” कहां है

बिना नक्‍शे के सागर तक पहुंच जाती है।
ऐसा नहीँ है कि नदी कुछ नहीँ करती है।
उसको “सागर” तक पहुंचने के लिए लगातार “बहना” अर्थात “कर्म” करना पड़ता है।

इसलिए “कर्म” करते रहिये,
नक्शा तो भगवान् पहले ही बनाकर बैठे है ।
हमको तो सिर्फ “बहना” ही है ।।
हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल

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