भाव पुष्प श्री हरि
" श्रीहरि "

तुम्हें पाकर अब हरि तुम्हें खोना नहीं चाहतें 

दूर होकर आपसे अब हम हरि जी रोना नहीं चाहते 

साथ रहना सदा आप कभी दूर ना जाना 

अब हम फिर से इस दुनिया की भीड़ मैं खोना नहीं चाहते 

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