श्री उडिया बाबा जी के वचनामृत
" श्रीहरि "

किसी भी पदार्थ में ममत्व बुद्धि न रख कर सब को ईश्वर की समझते हुये सब की रक्षा करो और संभाल कर रखो, इससे उसके बियोग में दुख नहीं होगा

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