हरि जी
कही भी इतना आनंद नही,
जितना तेरे ध्यान मे है,
और इतना सुख कही नही,
जितना तेरे नाम मे है,
घूम ली सारी दुनिया,
पर एक तू ही सच्चा लगता है,
तेरी रहमत का क्या कहना,
हर ओर तेरा ठिकाना लगता है,
मुझको तो पागल तेरे दर का
कहलाना अच्छा लगता है ।
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