भाव पुष्प श्री हरि

मानुष देह मिली……………

" श्रीहरि "

मानुष देह मिली सुमिरन को,

ना भटको मोह और माया  में।

सुमिरन से तो हरि मिलें,

सुख मिले हरि की छाया में।

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