" श्रीहरि "16- श्री चरणों में (परम आदरणीय गुरुजी लालता प्रसाद कृत) यहां तक जो भी लिखा गया है वह सब सुना हुआ है अब आगे प्रायः देखी हुई बातें ही लिखी जाएंगे श्री...
Shri Hari
" श्रीहरि "15″भक्त वर हुलासी”- पूज्यपाद श्री हरि बाबा जी महाराज भक्ति पर करके रत्न भक्त वर हुलासी ग्राम वरोरा के रहने वाले थे वह जाति के...
" श्रीहरि "दो शब्द इस जीवनी के लेखक पंडित लालता प्रसाद जी निसंदेह श्री हरि बाबा जीवन महाराज के प्रधान पार्षद हैं | इतना संचार और श्री हरि बाबा जी...
" श्रीहरि "* किसी भी देश की सच्ची संपत्ति संतजन ही होते हैं| वह जिस समय आविर्भूत होते हैं उस समय की जनता के लिए उनका आचरण ही सच्चा पथ प्रदर्शन होता...
" श्रीहरि "जन्म और बाल्यावस्था आपके पिता श्री प्रताप सिंह जी गांव में गरवाल में पटवारी थे और यही अपने परिवार सहित रहा करते थे| संवत 1940 की बात है...
" श्रीहरि " *श्री श्री गुरुदेव* दृष्टांन्तो नैव दृष्ट्त्रिभुवनजठरे सद्गुरोर्ज्ञानदातु: स्पर्शश्चेत्तरत्र कल्प्य: से नयति यदहो स्वर्ण तामश्मसारम |...
" श्रीहरि " बाबूजी हमारे महाराज जी की इस अवस्था में उनके प्रधान सहयोगी थे बाबू शालग्राम जी| श्री महाराज जी आज तक उनका अत्यंत प्रेम और श्रद्धा से...
" श्रीहरि " ६* सन्यास* पहले यह लिखा जा चुका है कि श्री दीवान सिंह जी कॉलेज और घर दोनों ही से उपराम होकर श्री गुरुदेव के पास आश्रम में रहने लगे | तथा...
" श्रीहरि " श्री हरि बाबा जी महाराज की एक लीला श्री श्री 108 श्री हरि बाबा जी महाराज की एक घटना है श्री हरि बाबा जी महाराज की ख्याति सुनकर एक ग्रामीण...
" श्रीहरि " ७ *पुन: होशियारपुर में* होशियारपुर में पहुंचने पर आप बड़े संकोच में पड़ गए| सोचने लगे कि श्री गुरु महाराज की आज्ञा के बिना ही मैंने कपड़े...
" श्रीहरि " ८-उपरति की ओर* किंतु आश्रम की इस धूमधाम से हमारे चरित नायक का चित्त ऊब गया | आपको तो अब किसी का शब्द भी नहीं सुहाता था फिर आप का आविर्भाव...
" श्रीहरि " *गंगा तट पर* विरक्तों का प्रधान क्षेत्र सदा से ही गंगातट रहा है| भारतवर्ष के सभी प्रांतों के विरक्त सनातन काल से श्री भागीरथी के...
" श्रीहरि " *बाबू हीरालाल जी* हमारे चरित नायक पूज्यपाद स्त्री श्री 108 श्री हरि बाबा जी महाराज से बाबू हीरालाल जी तथा इनके परिवार का बहुत संपर्क रहा...
" श्रीहरि " *ज्ञान से प्रेम की ओर* पहले भेरिया की संत मंडली के प्रसंग में श्री अच्युत मुनि जी का उल्लेख किया जा चुका है अपने समय में वह गंगा तट के...
" श्रीहरि " फिर गवां में* वर्धा से चलकर आप अमरकंटक पहुंचे यह श्री नर्मदा जी का उद्गम स्थान है| बड़ा अपूर्व दृश्य था आसपास अनेकों पर्वत शिखर ऊंचाई में...