आंसू पोंछ कर मेरे हरि ने हँसाया है मुझे मेरी हर गलती पर भी मेरे हरि ने हृदय से गाया है मुझे विश्वास क्यों न हो मुझे अपने हरि पर । मेरे हरि ने हर हाल में जीना सिखाया है मुझे “ यह हरि का दर है- यहाँ मनमानी नही होती, यह बात भी पक्की है कि कोई परेशानी नही होती, कुछ तो बात होगी मेरे हरि में, यूंही दुनिया इनकी दीवानी नही होती...”
Add Comment