भक्त भाव पुष्प श्री हरि

मेरे हरि की,,,,यूंही दुनिया दीवानी नही होती…” 

" श्रीहरि "

आंसू पोंछ कर मेरे
हरि ने हँसाया है मुझे
मेरी हर गलती पर भी मेरे
 हरि ने हृदय से गाया है मुझे
विश्वास क्यों न हो मुझे अपने हरि पर ।
मेरे हरि ने हर हाल में
जीना सिखाया है मुझे “
यह हरि का दर है- यहाँ मनमानी नही होती,
यह बात भी पक्की है कि कोई परेशानी नही होती,
कुछ तो बात होगी मेरे हरि में,
यूंही दुनिया इनकी दीवानी नही होती...”

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