रासलीला श्री हरि

श्री कृष्ण ने रासलीला के लिए शरद पूर्णिमा…

" श्रीहरि "
आज शरद पूर्णिमा है। इस पूर्णिमा का शास्त्रों में बड़ा महत्व बताया गया है। पुराणों के अनुसार एक बार गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से उन्हें पति रूप में पाने कीइच्छा प्रकट की। भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों की इस कामना को पूरी करने का वचन दिया।

अपने वचन को पूरा करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने रास का आयोजन किया। इसके लिए शरद पूर्णिमा की रात को यमुना तट पर गोपियों को मिलने के लिए कहा गया। सभी गोपियां सज-धज कर नियत समय पर यमुना तट पर पहुंच गई। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने रास आरंभ किया। माना जाता है कि वृंदावन स्थित निधिवन ही वह स्थान है जहां श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था।

यहां भगवान ने एक अद्भुत लीला दिखाई जितनी गोपियां थीं, उतने ही श्रीकृष्ण के प्रतिरूप प्रकट हो गए। सभी गोपियों को उनका कृष्ण मिल गया और दिव्य नृत्य एवं प्रेमानंद शुरू हुआ। माना जाता है कि आज भी शरद पूर्णिमा की रात में भगवान श्री कृष्ण गोपिकाओं के संग रास रचाते हैं।

इसलिए प्रेम निवेदन के लिए शरद पूर्णिमा का दिन उत्तम माना गया है। शरद पूर्णिमा की रात में चन्द्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है इसलिए चन्द्रमा का सौन्दर्य पूरे वर्ष में इस रात सबसे ज्यादा निखर कर आता है। इसलिए श्री कृष्ण ने महारास के लिए इस दिन का चयन किया। ज्योतिषशास्त्र में चन्द्रमा को मन का कारक ग्रह माना जाता है।

इसे सौन्दर्य, कला एवं सहित्य को भी प्रभावित करने वाला माना गया है। यह जल तत्व का भी कारक है। शरद पूर्णिमा को बलवान चन्द्रमा होने के कारण मानसिक बल प्राप्त होता है जो जीवन के चार पुरूषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को पूरा करने में सहायक होता है। इसलिए ही शरद पूर्णिमा की रात को महारास का चुनाव किया गया ताकि प्रेम करने वाला और प्रेम को प्राप्त करने वाला दोनों संतुष्ट हो सके।

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