श्री हरि बाबा जी महाराज की एक लीला
श्री श्री 108 श्री हरि बाबा जी महाराज की एक घटना है
श्री हरि बाबा जी महाराज की ख्याति सुनकर एक ग्रामीण व्यक्ति दूर गांव से श्री हरि बाबा जी महाराज दर्शन करने के लिए बांध धाम के लिए चल दिया उसे पता नहीं था तब तक बाबा अपने शरीर की लीला पूरी कर चुके थे ??गवां से आगे श्री हरि बाबा जी महाराज बांध धाम के लिए पैदल मार्ग है
उस समय वहां जंगल ही जंगल था वह वहां भटक गया और भूखा प्यासा परेशान होने लगा जब भटकते-भटकते भूख और प्यास से उसे चक्कर आने लगे और उसकी आंखें बंद होने लगी तब उसे लगा कि कोई उसको हिलाकर सावधान कर रहा है उसने देखा घुटनों से नीचे तक का कुर्ता पहने हाथों में जप की माला लिए और माथे पर साफा बांधे दिव्य तेज से आलोकित कोई संत उसे सावधान करके पूछ रहे थे भैया कहां जाना चाहते हो वह बोला मैं श्री हरि बाबा जी महाराज के बांध धाम पर जाना चाहता हूं परंतु मार्ग भटक गया हूं वह आकर्षक संत कहने लगे भैया मैं भी वहीं जा रहा हूं तुम मेरे पीछे पीछे चले आओ उस ग्रामीण को बड़ा आश्चर्य लगा अभी तो मुझ में खड़े होने की भी शक्ति नहीं थी परंतु अब तो मैं अपने को ठीक महसूस कर रहा हूं और वह उन संत के पीछे पीछे चल दिया उसने देखा कि वह संत बहुत तेज चलते हैं उसे उनके पीछे चलते रहने के लिए बार-बार दौड़ना पड़ता था दूर से जब श्री हरि बाबा जी महाराज धाम का मंदिर दिखाई देने लगा तो वह दिव्य आकर्षण से विभूषित संत बोले वह वह सामने बांध धाम है और इतना कहकर एक ओर को चल दिए वह थका हारा भूख-प्यास से व्याकुल बेहाल पथिक जब श्री हरि बाबा जी महाराज धाम पर पहुंचा और श्री हरि बाबा जी महाराज के दर्शनों की इच्छा व्यक्त की तो वहां लोग कहने लगे भैया श्री महाराज जी का शरीर तो पूरा हो गया उनके मंदिर में उनका चित्र और विग्रह है तुम वहां प्रणाम करके आ सकते हो
उसकी ग्रामीण व्यक्ति को बहुत दुख हुआ कि मैं पहले क्यों नहीं आया जब मंदिर में प्रणाम करने के लिए पहुंचा और वहां बाबा का चित्र और विग्रह देखे तो उसे बहुत आश्चर्य हुआ उसने लोगों से आश्चर्य के साथ पूछा यह कौन से बाबा का चित्र और विग्रह हैं जब लोगों ने बताया कि यही तो श्री हरि बाबा जी महाराज है तो वह रोने लगा यह कैसे हो सकता है ???? यही तो हैं !!!!!!!जो मुझे अभी-अभी बांध तक छोड़ कर गए थे |
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