श्रीमत् परमहंस परिव्राजकाचार्य श्री उड़िया बाबा जी महाराज अपने समय के एक सर्वमान्य संत थे। उनके अनुभव, ब्रह्मनिष्ठा और त्याग-वैराग्य के कारण साधु-समाज में उनका बहुत ऊँचा स्थान था। आप को देवनागरी में ओरिया बाबा, उरीया बाबा, उड़ीया बाबा या ओड़ीया बाबा के रूप में उल्लिखित और लिखा गया हैं | आप अद्वैत वेदांत के शिक्षक थे और आपको परमहंस माना जाता था। आप एक परिव्राजक थे, अर्थात् जो किसी भी एक स्थान में बहुत लंबे समय तक नहीं रहता | आप का जन्म 1875 में उड़ीसा में जन्म हुआ था | अपने समकालीन संतो मे श्री हरि बाबा जी महाराज से विशेष अनुराग रहा | आप पूज्य श्री स्वामी अखण्डानन्द सरस्वतीजी महाराज के सदगुरु थे ।1937-38 के दौरान वृंदावन में आप के लिये श्री कृष्ण आश्रम नामक आश्रम बनाया गया (जिन्हें उड़ीया बाबा आश्रम भी कहा जाता हैं) | आप के कथन में एक नविन ओज और प्रभाव होता था। व आप सदा लक्ष पर दृष्टि रखकर बोलते थे और थोड़े शब्दों में ही बहुत ऊँची बात कह जाते थे। वे यद्यपि कोई वक्ता, व्याख्याकार या लेखक नहीं थे। तथापि उनमें कुछ ऐसा आकर्षण था कि लोग उनके दर्शन और वाक्य-श्रवण को सर्वदा लालायित रहते थे। |
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