Uncategorized वचनामृत श्री हरि

श्रेष्ठता

" श्रीहरि "

“इच्छायें पूरी नही होती है
तो क्रोध बढ़ता है
और इच्छायें पूरी होती है
तो लोभ बढ़ता है
इसलिए जीवन की हर तरह की
परिस्थिति में धैर्य बनाये रखना ही श्रेष्ठता है ।”

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