वचनामृत श्री हरि श्री हरिबाबा जी के वचनामृत

(((((  शब्द ही ब्रह्म हैं  )))))

" श्रीहरि "

(((((  शब्द ही ब्रह्म हैं  )))))

एक बार स्वामी विवेकानंद एक सत्संग में भगवान् के नाम का महत्त्व बता रहे थे |

तभी एक व्यक्ति ने कहा “शब्दों में क्या रखा है, उन्हें रटने से क्या लाभ ?”

 स्वामी विवेकानंद ने उनकी बात सुनी और उन्हें अचानक में मुर्ख, गधे जैसे अपशब्द कहने लगे,

इस पर वह व्यक्ति आगबबूला हो गया और चिल्लाते हुए बोला…..

“आप जैसे सन्यासी के मुहं से ऐसे शब्द शोभा नहीं देते,

ऐसे शब्द सुन कर मुझे बहुत ठेस पहुंची है”|

स्वामी जी ने हँसते हुए कहाँ -”भाई वे तो शब्द मात्र थे,

शब्दों में क्या रखा है, मैंने कोई पत्थर तो मारा नहीं” l

यह सुनते ही उस व्यक्ति को अपने प्रश्न का जवाब मिल गया |

शब्द जब क्रोध उत्पन कर सकते है तो प्रेम भी जगा सकते है | शब्द ही ब्रह्म है |                

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हरि बोल   हरि बोल   हरि बोल   हरि बोल   हरि बोल   हरि बोल

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