भाव पुष्प श्री हरि

आंख में नमी है..,

" श्रीहरि "

ओस की बूंदे है, आंख में नमी है..,
ना ऊपर आसमां है ना नीचे जमीन है..
ये कैसा मोड है जिन्‍दगी का…
हरि जी ,
एक आप ही मेरे खास हो
और अापकी ही कमी हैं…!!

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