ब्रह्मचारी श्रीहरेकृष्णजी श्रीहरेकृष्णजी-ऊपरकहा गयी है कि नर्सिंग होम में श्रीहरेहृश्णजी आपकी सेवा में रहते थे। ब्रह्मचारी रामस्वरूपजी होषियारपुर में...
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jai ho……..jai ho…….
दृश्य में प्रीति न रखना असली बैराग्य है
किसी भी पदार्थ में ममत्व बुद्धि न रख कर सब को ईश्वर की समझते हुये सब की रक्षा करो और संभाल कर रखो, इससे उसके बियोग में दुख नहीं होगा
जन्म जन्मान्तर से हमारा विषयों में अनुराग है, इसी लिये भगवान में अनुराग नहीं होता है/ भगवान में पूर्ण अनुराग होते ही संसार से छुटकारा हो जाता है/...
सच्चे वैराग्यबान को जो आनन्द प्राप्त होता है वह और किसी को प्राप्त नहीं हो सकता है, व्रह्मादिक भी उस आनन्द को तरसते हैं
संसारी बातों से सुख या शान्ति मिल जायेगी- ऎसा सोचना मूर्खता है
दरिद्री बो है,जो विषयों में फसा हुआ है और धनी वह है जिसे किसी भी चीज की इच्छा नहीं है
परमार्थ साधक को तीन बातें अति अनिवार्य हैं ,
अ- दुनियाँ का चिन्तन ना करे/
ब- दुनियाँ की बात ना करे/
स- दुनियाँ की क्रिया ना करे/
सुने न काहू की कही, कहे न अपनी बात/
नारायण बा रूप में मगन रहे दिन रात//