भाव पुष्प श्री हरि

बख्शो बख्शनहारे !!

" श्रीहरि "

हरि जी !  हरि जी !   हरि जी !
तुम अवगुण बख्शनहारे !!…….

हरि जी !  हरि जी !   हरि जी!
तुम अवगुण बख्शनहारे !!

जितनी सागर में हैं लहरें ,
जितने आसमान में तारे
उससे भी ज्यादा पाप हैं मेरे
बख्शो बख्शनहारे !!

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