श्री हरिबाबा जी के वचनामृत

वचनामृत श्री हरि श्री हरिबाबा जी के वचनामृत

विश्वास रखना चाहिय……..

" श्रीहरि "निरन्तर दृढ़ विश्वास रखना चाहिय कि भगवान मेरे है और मै भगवान का हूँ । वे सदा ही मेरे हैं और अत्यन्त प्रिय हैं । उनके समान दूसरा प्यारा और प्यार करने...

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वचनामृत श्री हरिबाबा जी के वचनामृत

सेवा और प्रार्थना

" श्रीहरि "जिस प्रकार    आकाश से गिरा हुआ जल             किसी न किसी रास्ते से       होकर समुद्र में पहुँच ही जाता है उसी प्रकार निःस्वार्थ भाव से की...

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(((((  शब्द ही ब्रह्म हैं  )))))

" श्रीहरि "(((((  शब्द ही ब्रह्म हैं  ))))) एक बार स्वामी विवेकानंद एक सत्संग में भगवान् के नाम का महत्त्व बता रहे थे | तभी एक व्यक्ति ने कहा “शब्दों...

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ईश्वर और सतगुरू पर यकीन रखते है

" श्रीहरि "ईश्वर और सतगुरू पर यकीन रखते है,उनका बाल भी बाका नही होता है, एक राजा बहुत दिनो से पुत्र की प्राप्ती के लिये आशा लगाये बैठा था,पर पुत्र...

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भक्ति की आँच धीमी ना पड़े……

" श्रीहरि "भक्ति आग की तरह है सुमिरन घी की तरह
यदी तुम चाहते हो की .भक्ति की आँच धीमी
ना पड़े तो सांस सांस मे सुमिरन का घी डालते रहो |

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मन के हारे हार , मन के जीते जीत

" श्रीहरि "जिंदगी में हार तब नहीं होती जब आप हारते है, हार तो तब होती है जब आप हार मान लेते है ।
मन के हारे हार , मन के जीते जीत

उपदेश