श्री उडिया बाबा जी के वचनामृत

श्री उडिया बाबा जी के वचनामृत

" श्रीहरि "किसी भी पदार्थ में ममत्व बुद्धि न रख कर सब को ईश्वर की समझते हुये सब की रक्षा करो और संभाल कर रखो, इससे उसके बियोग में दुख नहीं होगा

श्री उडिया बाबा जी के वचनामृत

" श्रीहरि "जन्म जन्मान्तर से हमारा विषयों में अनुराग है, इसी लिये भगवान में अनुराग नहीं होता है/ भगवान में पूर्ण अनुराग होते ही संसार से छुटकारा हो...

श्री उडिया बाबा जी के वचनामृत

" श्रीहरि "साधु को मधूकरी के अलावा कुछ भी मांगने से शरीर में रहने वाले पाँच देवता छोड़ कर चले जाते हैं, ये पाँच देवता ह्री, श्री, धी, ज्ञानऔर गौरव...

श्री उडिया बाबा जी के वचनामृत

" श्रीहरि "साधु को भिक्षा माँग कर  ही अपना निर्बाह करना चाहिये, किसी एक स्थान पर बँध जाने सेाधुता नष्ट हो जाती है , धनिकों के अन्न में अनेक प्रकार के...