भाव पुष्प श्री हरि

कार्तिक पूर्णिमा

" श्रीहरि "

कार्तिक पूर्णिमा – ऐसा माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन से शुरू कर प्रत्येक पूर्णिमा को व्रत और जागरण करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन भक्त स्नान, दान, हवन, यज्ञ और उपासना करते हैं, ताकि उन्हें मन चाहे फल की प्राप्ति हो सके। इस दिन गंगास्नान और शाम के समय दीपदान बहुत शुभ माना गया है। भरणी नक्षत्र में गंगा स्नान व पूजन करने से सभी तरह के ऐश्वर्य और सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है।

 

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व- एक साल में करीब 16 अमावस्याएं होती हैं, लेकिन सबसे काली और लंबी अमावस्या की रात, कार्तिक मास की अमावस्या यानी दीपावली के दिन मनाई जाती है और इसके 15 दिन बाद कार्तिक मास की पूर्णिमा आती है, जो संसार में फैले अंधेरे का सर्वनाश करती है। कार्तिक माह में पूरे माह ब्रह्म मुहूर्त में नदी, तालाब, कुंड, नहर आदि में स्नान कर नियमपूर्वक भगवान की पूजा की जाती है। कलियुग में कार्तिक मास व्रत को मोक्ष का द्वार बताया गया है।

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