किसी ने पूछा – भगवान दु:ख दूर करते हैं ?
साधु ने कहा -ना रे ! भगवान किसी का दुःख दूर नहीं करते ! यदि दुख ही दूर करना होता तो देते ही क्यों ?
फिर दुःख दूर कौन करता है ?
साधु बोले – भगवान का “नाम” दु:ख दूर करता है
उनके “स्मरण” में मन का “रमण” होने लगे तो दुःख का मरण निश्चित है!!
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