भाव पुष्प श्री हरि

निशिदिन तुम्हरी सेवा

" श्रीहरि "

भक्ति दान मोहे दिजीये

गुरु देवन के देव

और नहीं कछु चाहिए

 निशिदिन तुम्हरी सेवा

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