भाव पुष्प श्री हरि

रास्ते मुझे मिलते गये……………..

" श्रीहरि "

मैं चलता गया और रास्ते मुझे मिलते गये
राह के काँटे भी फूल बनकर खिलते गये
ये जादू नहीं रहमत है मेरे हरि जी की
वरना उसी राह पे लाखों लोग फिसलते गये
हरि बोल हरि बोल

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