वचनामृत श्री हरि श्री हरिबाबा जी के वचनामृत

भक्ति की आँच धीमी ना पड़े……

" श्रीहरि "

भक्ति आग की तरह है सुमिरन घी की तरह

यदी तुम चाहते हो की .भक्ति की आँच धीमी

ना पड़े तो सांस सांस मे सुमिरन का घी डालते रहो |

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