" श्रीहरि "शतं विहाय भोक्तव्यं, सहस्रं स्नानमाचरेत् । लक्षं विहाय दातव्यं ,कोटिं त्यक्त्वा हरिँ भजेत् ।। भावार्थ– सौ काम छोड़कर भोजन करना चाहिए , हजार काम...
आज के सुविचार
" श्रीहरि "किसी ने पूछा – भगवान दु:ख दूर करते हैं ? साधु ने कहा -ना रे ! भगवान किसी का दुःख दूर नहीं करते ! यदि दुख ही दूर करना होता तो देते ही...
" श्रीहरि " तुलसी की महिमा बताते हुए भगवान शिव नारदजी से कहते हैं:- “पत्रं पुष्पं फलं मूलं शाखा त्वक् स्कन्धसंज्ञितम्। तुलसी संभवं सर्वं पावनं...
" श्रीहरि "एक इल्तज़ा है मेरी …!!! मेरे ….मेरे हरि….!! अमृत वेले उठा देना …..! चित ना भटके मेरा ……! सिमरन में...