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वचनामृत श्री हरिबाबा जी के वचनामृत

सेवा और प्रार्थना

जिस प्रकार    आकाश से गिरा हुआ जल             किसी न किसी रास्ते से       होकर समुद्र में पहुँच ही जाता है उसी प्रकार निःस्वार्थ भाव से की गई        ...

भाव पुष्प श्री हरि

पहचान लेते है।

जो भक्तों की धुन         पहचान लेते है। ये घट घट वासी है ,   बात मन की जान लेते है!  प्रेम जो करे इनसे      उसे ये बहुत मान देते है।   किसी भी रूप...

उपदेश