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भाव पुष्प श्री हरि

आंख में नमी है..,

ओस की बूंदे है, आंख में नमी है.., ना ऊपर आसमां है ना नीचे जमीन है.. ये कैसा मोड है जिन्‍दगी का… हरि जी , एक आप ही मेरे खास हो और अापकी ही कमी...

श्री स्वामी जी के वचनामृत श्री हरि संत परिकर

पूज्यपाद स्वामी अखंडानंद जी महाराज का एक जाग्रत करने वाला लेख

मैं हूँ और मेरा भगवान है! मन में तीन बातें होती हैं – द्वेष, लोभ और मोह। जो इनको कम नहीं करता, उनका मन दुर्बल एवं चञ्चल हो जाता है । उसका मन...

भाव पुष्प श्री हरि

रास्ते मुझे मिलते गये……………..

मैं चलता गया और रास्ते मुझे मिलते गये राह के काँटे भी फूल बनकर खिलते गये ये जादू नहीं रहमत है मेरे हरि जी की वरना उसी राह पे लाखों लोग फिसलते गये हरि...

Uncategorized वचनामृत श्री हरि

श्रेष्ठता

“इच्छायें पूरी नही होती है तो क्रोध बढ़ता है और इच्छायें पूरी होती है तो लोभ बढ़ता है इसलिए जीवन की हर तरह की परिस्थिति में धैर्य बनाये रखना ही...

उपदेश